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देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह 2023

देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह 2023

देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह 2023 : कब है देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह? जानें सही मुहूर्त,  महत्व, उपाय जानिए top astrologer vastu expert Tina by planet power 

देवउठान एकादशी की तिथि का आरंभ 22 नवंबर को रात में 11 बजकर 3 मिनट पर होगा और समापन 23 नवंबर को रात में 9 बजकर 1 पर मिनट पर होगा। इस प्रकार देवउठान एकादशी का व्रत 23 नवंबर को गुरुवार को रखा जाएगा। व्रत का पारण 24 नवंबर को सुबह 6 बजे से 8 बजकर 13 मिनट तक करना शुभ होगा।

देवउठान एकादशी का महत्‍व

देवउठान एकादशी के दिन से भगवान विष्‍णु 4 महीने की योगनिद्रा से बाहर आ जाते हैं और उसके बाद वे सृष्टि का कार्य देखने का अपना काम आरंभ कर देते हैं। उसके बाद देवउठान एकादशी के दिन से भगवान विष्‍णु पाताल लोक छोड़कर वापस वैकुंठ धाम आ जाते हैं। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्‍णु देवशयनी एकादशी के दिन से देवउठनी एकादशी तक पाताल में वास करते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन से आरंभ होकर विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।

देवउठान एकादशी पर तुलसी पूजा का महत्‍व

देवउठान एकादशी पर तुलसी माता की पूजा करने का विशेष महत्‍व होता है। इस दिन तुलसी के चारों ओर आटे और हल्‍दी से स्‍तंभ बनाकर उनकी पूजा की जाती है और उनकी परिक्रमा की जाती है। इस दिन तुलसी के साथ आंवले का गमला भी लगाना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन शंख, चक्र और गाय के पैर बनाकर उनकी पूजा की जाती है।

देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल अपने भक्त को देते हैं. 

देवउठनी एकादशी के सुबह सवेरे उठकर पानी में गंगाजल मिलाकर नहा लें, जीवन में आपको समस्त सुख मिलेंगे. 

स्नान करने के बाद पूरे मन से गायत्री मंत्र का जाप करें, इस उपाय से शरीर स्वास्थ्य रहेगा और भगवान का आशीर्वाद भी प्राप्त हो जाएं.

अगर संतान के विवाह में विलम्ब हो रहा है, तो आज के दिन लक्ष्मीनारायण के मंदिर में भगवान विष्णु को एक किलंगी भेट करें और सवा पाव मिठाई (बेसन के लड्डू या कोई भी पीली दुध से बनी मिठाई) चढ़ाएं।

 गुरु ग्रह की महादशा, अंतर्दशा या कुण्डली में गुरु पीड़ित है तो गुरु से संबंधित चीजों का दान करें।

देवउठनी एकादशी 2023 मुहूर्त

कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ – 22 नवंबर 2023, रात 11.03

कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का समापन – 23 नवंबर 2023, रात 09.01

पूजा का समय- सुबह 06.50 से सुबह 08.09

रात्रि पूजा का मुहूर्त- शाम 05.25 से रात 08.46

व्रत पारण समय- सुबह 06.51 से सुबह 08.57 (24 नवंबर 2023)

Tulsi Vivah 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है. इसके अगले दिन ही तुलसी विवाह का उत्सव मनाया जाता है. इस दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ किया जाता है. माना जाता है कि जो व्यक्ति तुलसी विवाह का अनुष्ठान करता है उसे उतना ही पुण्य प्राप्त होता है, जितना कन्यादान से मिलता है. दरअसल, शालिग्राम भगवान विष्णु का ही अवतार माने जाते हैं. तो आइए जानते हैं कि तुलसी माता का विवाह किन शुभ मुहूर्तों में किया जाए. 

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त (Tulsi Vivah 2023 Shubh Muhurat)

तुलसी विवाह के दिन द्वादशी तिथि 23 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी 

समापन 24 नवंबर को शाम 7 बजकर 6 मिनट पर होगा. 

उदयातिथि के अनुसार, तुलसी का विवाह इस बार 24 नवंबर को ही होगा.

तुलसी विवाह पूजन विधि और विशेष उपाय।

तुलसी के पौधे के चारो तरण चौका लगाएं।

रोली से अष्टदल कमल बनाएं।

शंख, चक्र, और गाय के पैर बनाए।

तुलसी के साथ आवले का गमला लगाएं।

तुलसी की पंचोपचार सर्वांग पूजा करें।

दशाक्षरी मंत्र से तुलसी का आवाहन करें।

घी का दीप , धूप दिखाएं में 

माता तुलसी को चुनरी उढाये।

भगवान विष्णू को तुलसी चढ़ाएं

संतान प्राप्ती के लिए तुलसी नामाष्टक पढ़े।

अगर आज के दिन गृह प्रवेश करने जा रहे हों तो तुलसी का पौधा, श्री हरि की प्रतिमा, और कलश भरा जल लेकर प्रवेश करें। संपति की कभी कमी नही रहेगी।

नौकरी पाने, कारोबार में वृद्धि के लिए पीले कपड़े में तुलसी पौधा बांधकर अपने कार्य स्थल पर अवश्य रखें।

तुलसी जी को ११ परिक्रमा करें।

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