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अहोई अष्टमी व्रत की महिमा(5नवम्बर 2023)

अहोई अष्टमी व्रत की महिमा(5नवम्बर 2023)

अहोई अष्टमी व्रत महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और तरक्की के लिए करती है. महिलाएं अपने बच्चों के लिए अहोई माता से आशीर्वाद लेती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (Ahoi Ashtami 2023 Date) को मनाई जाती है. 

अहोई अष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त | Ahoi Ashtami Vrat 2023 Shubh Muhurat Top astrologer and vastu expert in Mumbai based Tina seksaria by planet power

अगर अहोई अष्टमी व्रत की शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो  5 नवंबर, रविवार को शाम 5 बजकर 42 मिनट से पूजा का शुभ मुहूर्त  शुरू हो रहा है और उसी दिन शाम 7 बजे तक रहेगा। माताएं इस बीच विधिवत रूप से मां अहोई की पूजा अर्चना कर सकती हैं।

अहोई अष्टमी  पर चांद के  बजाय तारों को अर्धय दिया जाता है।  5 नवंबर 2023, रविवार को शाम 5 बजकर 58 मिनट से शाम 7:00 बजे तक तारों को देखने का शुभ समय है. शाम को तारों को जल देने के बाद व्रत खोल सकते है। 

अहोई अष्टमी व्रत दिवाली से ठीक एक हफ्ता पहले पड़ता है। हिंदू माताओं के लिए अहोई अष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत महिलाएं अपने बच्चों की भलाई, उनकी लंबी लंबी उम्र और तरक्की के लिए करती है। मां अहोई से माताएं अपने बच्चों के लिए  लम्बी उम्र का आशीर्वाद मांगती हैं। इससे बच्चे स्वस्थ रहते हैं और उनके जीवन में सुख समृद्धि आती है और वे विकास के पथ पर हमेशा अग्रसर रहते है।

अहोई अष्टमी 2023 पर इस विधि से करें पूजा-

अहोई अष्टमी के पावन अवसर पर माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र का आशीर्वाद लेने के लिए व्रत और पूजा करती हैं। पूजा पूरी श्रद्धा और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ की जाती है। हर जगह अलग अलग तरीकों से पूजा करने का विधान है।

कुछ लोग दीवाल पर अहोई माता का चित्र चिपका कर पूजा करते है। तो कुछ जगह एक पाट पर जल का लोटा रखकर पूजा विधान किया जाता है। 

अष्टमी पर चांदी की अहोई क्यों पहनी जाती है?

चांदी की अहोई में चांदी के मोती होते हैं, जिसे धागे मे पिरोकर महिलाएं अपने गले में धारण करती हैं। हिंदू धर्म में चांदी को एक शुभ धातु माना जाता है और चांदी की अहोई पहनने से परिवार में सौभाग्य, समृद्धि और सुरक्षा आती है। ऐसा माना जाता है कि यह बच्चों की रक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बुरी और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करती है।

राजस्थान के कुछ परिवारों में अहोई माता की चांदी या सोने की  लॉकेट माताएं गले में धारण करती है जिसे दिवाली तक गले में रखा जाता है । उसके बाद अच्छा दिन महूर्त देख कर उतार दिया जाता है। यह प्रक्रिया माताएं हर साल दोहराती है।

अहोई अष्टमी व्रत कथा

हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। एक पुरानी कथा के अनुसार, एक गांव में एक साहूकार रहता था, जिसके सात बेटे थे। दिवाली से कुछ दिन पहले साहूकार की पत्नी अपने घर की पुताई के लिए खदान से मिट्टी लेने गई। जब वह कुदाल से मिट्टी खोद रही थी, तो अचानक उसकी कुदाल साही के बच्चे को लग गई, जिससे उसके बच्चों की मृत्यु हो गई। जिसपर साहूकार की पत्नी को बहुत दुख हुआ। इसके बाद वह पश्चाताप करती हुई अपने घर वापस चली गई।

फिर कुछ समय बाद साहूकार के सभी बेटों की मृत्यु हो गई। अपने बेटों के निधन के कारण साहूकार की पत्नी बेहद दुखी रहने लगी और उसने साही के बच्चों की मौत की घटना अपने पड़ोस की एक वृद्ध महिला को सुनाई, जिसपर वृद्ध महिला ने साहूकार की पत्नी को बताया कि आज जो बात तुमने मुझे बताई है, इससे तुम्हारा आधा पाप खत्म हो गया है। साथ ही उन्होंने साहूकार की पत्नी को अष्टमी तिथि पर अहोई माता तथा साही और साही के बच्चों का चित्र बनाकर उनकी पूजा करने को कहा।

साहूकार की पत्नी ने उनकी बात मानकर कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर व्रत रखा और विधि- विधान से पूजा की। उसने प्रतिवर्ष नियमित रूप से इस व्रत को रखा। जिसके परिणामस्वरूप उसे सात पुत्रों की फिर से प्राप्ति हुई। कहा जाता है कि तभी से अहोई व्रत पूरे विधि-विधान से किया जाता है।

कुछ विशेष उपाय अपने बच्चो के लिए करे अहोई अष्टमी के दिन।

  • अगर आपके बच्चे को गुस्सा बहुत आता है तो अहोई माता को लाल रंग का पुष्प अर्पित करें और फिर इसे लाल कपड़े ने बांध कर बच्चे के कमरे में रख दे। धीरे धीरे असर आप क्ष देखेंगे।
  • अगर बच्चा जीवन में तरक्की नहीं कर पा रहा है तो अहोई अष्टमी के दिन माता को हलवा पूरी चढ़ाएं।और गरीब बच्चो  में वितरित करें  
  • अगर आपका संबंध अपनी संतान के साथ मधुर नही है तो अहोई माता को पूजा में पीली सरसों चढ़ाएं और पर इससे पीले कपड़े में बांध कर बच्चे के अलमारी में रख दें।

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